पहेलियाँ बूझना एक कला है; पहेलियों से छात्रों की तर्क तथा विचारशक्ति का विकास होता है। यहाँ पहेलियों के माध्यम इस शक्ति का विकास करने का प्रयत्न किया गया है। (1) एक फूल काले रंग का, सिर पर सदा सुहाता छाया में मुरझाता । तेज धूप वर्षा में खिलता, (2) चोर नहीं डाकू नहीं, नहीं कहीं की रानी बत्तीस सिपाही घेरे रहते, तन-मन पानी-पानी (3) नाम मेरा तीन अक्षर का, रहनेवाला सागर तट का खाने में आता हूँ काम, बोलो बच्चो मेरा नाम । (4) आदि कटे तो दशरथ सुत होता, मध्य कटे तो आम, अंत कटे तो काहूँ लकड़ी, बोलो मेरा नाम । (5) दो सखियाँ दोनों चंचल, फिरती फाटक खोलें, सो जाएँ तो सपने देखें, हँसे खुशी में, दुःख में रो लें। (6) दादा है पर दादी नहीं, भाई है पर बहन नहीं नव है पर दस नहीं, रोजी है पर रोटी नहीं ।